नमस्कार दोस्तो बाबा आमटे आज के आधुनिक युग के एक संत थे, उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गरीबों और देश के लिए समर्पित कर दी। आज हम बाबा आमटे इस विषय पर हिंदी निबंध लेकर आए है।
बाबा आमटे।
मुरलीधर देवीदास आमटे यानी कि बाबा आमटे इनका जन्म महाराष्ट्र के वर्धा जिल्हे मैं स्थित हिंगघाट इस जगह पर २६ दिसंबर १९१४ मैं हुआ था। बाबा आमटे के पिताजी ब्रिटिश गवर्नमेंट में एक ऊंचे पद पर काम किया करते थे। बाबा आमटे को जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं थी वह काफी अमीर थे। बाबा आमटे के पिताजी उन्हें बचपन से ही बाबा इस नाम से बुलाते थे।
बाबा आमटे यह देवीदास आमटे इन के सबसे ज्येष्ठ पुत्र थे और इसीलिए उनके पास खूब संपत्ति थी। बाबा आमटे जब १४ वर्ष के हुए तब उनके पास खुद की बंदूक थी, जय बाबा आमटे १८ वर्ष के हुए थे तब उनके पास खुद की एक सुंदर स्पोर्ट्स कार थी।
बाबा आमटे ने एल. एल. बी की पढ़ाई की थी और वह वर्धा जिल्हे में वकीली कर रहे थे। १९४२ में भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए बाबा आमटे भी शामिल हुए थे। बाबा आमटे ने भारत में खूब सारे आंदोलनों में भाग लिया था जैसे कि नर्मदा बचाओ आंदोलन। बाबा आमटे ने अपना कुछ समय सेवाग्राम में भी बिताया था वहां उन पर गांधी विचारों का प्रभाव पड़ा था, जब महात्मा गांधी जी को पता चला कि बाबा आमटे ने एक लड़की को क्रूर अंग्रेज सैनिक से ना डरते हुए उसे बचाया था तभी गांधीजीने बाबा आमटे को "अभय साधक" यह उपाधि दी थी।
बाबा आमटे को समाज में गरीबों पर होनेवाले अत्याचारों का पत्ता था। वह एक सच्चे समाजसेवक थे जो हर समय लोगों कि सेवा केलिए तयार रहते थे। जब बाबा आमटे समाज सेवा करते थे तब कुछ लोग उनकी निंदा करते थे। पर बाबा आमटे को किसी भी चीज का दुख नहीं था। उन्होंने गरीबों की मदद करने के लिए "आनंदवन" बनाया।
अंधे ,गूंगे ,अपाहिज और रोगों से पीड़ित लोगों का कोई भी सहारा नहीं था और लोग उन्हें अपने पास भी नहीं आने देते थे। ऐसे लोगों को बाबा आमटे ने अपने पास रखकर सहारा दिया और उन सभी लोगों के साथ वह आनंदवन में रहने लगे।
बाबा आमटे ने अपना पूरा जीवन लोगों के लिए और अपने देश के लिए समर्पित कर दिया, और इस समाज सेवा के काम में उन्हें अपने परिवार का भी पूरा साथ मिला। बाबा आमटे और उनकी पत्नी डॉ मंदा आमटे इन्होंने कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के उपचारो केलिए आनंदवन में अस्पताल का निर्माण करवाया।
बाबा आमटे यह आधुनिक समय के एक सच्चे संत थे, और एक सच्चे समाज सेवक थे। उन्हें अपने कार्य के लिए १९७४ पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था।
समाप्त।
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याद निबंध class १,२,३,४,५,६,७,८,९ और १०वि के बच्चे अपने पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। इसी के साथ यह हिंदी निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- समाज सेवक बाबा आमटे।
- बाबा आमटे का निर्मित आनंदवन।
- मेरा प्रिय समाज सेवक।
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