किसान हमारा अन्नदाता है, वह हमारेलिए कितना कष्ट करता है ये तो हमे पता ही है। आज हम एक भारतीय किसान की आत्मकथा पर हिंदी निबंध लाए है।
किसान की आत्मकथा।
मेरी पाठशाला की छुट्टियां शुरू होगी थी इके चलते हमने हमारे गांव जाने का नियोजन मनाया। हम ऐसे तो गाव कम ही जाते है क्योंकि मेरे पिताजी यहा शहर में नौकरी करते है, पहले मेरे पिताजी के पिताजी यानी मेरे दादा जी गाव में खेती करते थे। हमारे गाव में सभी लोग किसान ही है सब खेती करते है।
जब में गाव में घूमने बाहर निकला और गाव में यहा-वहा घूमने लगा थोड़ी देर बाद में एक पेड़ के नीचे बैठ गया उसी पड़े के नीचे एक किसान बैठा हुआ था। उस किसान ने मुझे प्रश्न पूछा कि तुम कोन हो ? पहले कभी तुम्हे यहा देखा नहीं बेटा। किसका लड़खा है तू ? जब मैने उनके सवालों का जवाब दिया तब उन्होंने मुझे पहचान लिया। जब मैने उस किसान को खेती के बारेमे पूछा तो उन्होंने उनका मनोगत मुझे बताना शुरू किया।
में तुकाराम और ये सारी खेती मेरी है, हमरा पूरा घर इसी खेती पर निर्भर है सिर्फ मेरा ही घर नहीं तो गाव के सभी किसान भाईयो का घर खेती पर ही चलता है। आज खेती पहले जैसी नहीं रही, पहले मुझे और मेरे पिताजी को खेती करने के लिए काफी कष्ट उठने पड़ते थे पर अब इस आधुनिक युग में खेती करना आसान होगया है।
आज खेती करने के लिए पहले जैसे कष्ट नहीं करने पड़ते, आज सब सामान-साहित्य उपलब्ध है। हमारे वक्त में हम बैल से हल चलते थे और आज ट्रैक्टर आ गया है, ट्रैक्टर से हल चलाना कितना आसान और कितना जल्दी हो जाता है मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। किसान भाइयों को आज सरकार का भी काफी अच्छा साथ मिल रहा है।
किसान को आज खेती केलिए पर्याप्त बीज और खाद सरकार के द्वारा दी जाती है। पहले यहां पानी का कोई भी नियोजन नहीं था पर आज हर जगह पानी के पंप लगाने से हम किसानों को काफी राहत मिली है। अब समय समय पर खेती की मिट्टी की जाज की जाती है और उसी के अनुसार खाद कौनसी और कितनी इस्तमाल करनी चाहिए और कब कौनसी फ़सल लगानी योग्य होगी इसकी जानकारी सरकार किसानों को देती है।
अभी हर गाव में हम किसानों कि संघटनाए है जिसके सहायता के कारण हमे फसल का योग्य मूल्य प्राप्त होता है। हर तीन महीने में एक बार इन संघटनाओ द्वारा कुछ कार्यक्रम आयोजित किए जाते है, जहा हमे आधुनिक खेती की जानकारी दी जाती है। और खेती करने के नए तरीके सिखाए जाते है। हमें इन कार्यक्रमों के कारण कफी कुछ नया सीखने मिलता है।
हम किसान खेती तो करते ही है पर उसी के साथ हम गाय, बकरियां और मुर्गियां भी पालते है इसका हमे बहोत फायदा मिलता है। इस खेती केलिए खाद भी हो जाती है और दूध और अंडे तो हम बेचते ही है।
अभी खेती और किसान पहले जैसी नहीं रहे वो देखो मेरा घर, वो मेरी गाड़ी। मेरे बच्चे अभी बड़े कॉलेज में डिग्री ले रहे है। अब खेती एक बड़ा व्यवसाय बन चुका है और मुझे ये व्यवसाय बहुत पसंद है। किसानों को सरकार की मदद मिलने के कारण हम अप्रतिम खेती करते है।
ऐसे मनोगात मुझे किसान तुकाराम ने बताएं। इस किसान की आत्मकथा सुनकर मुझे भी खेती में रुचि आने लगी है।
समाप्त।
दोस्तों आपके खेती के ऊपर क्या विचार है और क्या आप खेती करते हो ? हमें नीचे comment करके जरूर बताइए।
किसान की आत्मकथा ये हिंदी निबंध class १,२,३,४,५,६,७,८,९ और १० के बच्चे अपनी पढ़ाई केलिए इस्तमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयो पर भी इस्तमाल किया जासकता है।
- भारतीय किसान पर निबंध।
- भारतीय किसान की आत्मकथा।
- किसान का मणोगत।
- आज की खेती।
- खेती में हुए आधुनिक बदलाव।
दोस्तों आपको यह निबंध कैसा लगा और अगर आपको कोई और विषय पर हिंदी निबंध चाहिए तो हमे नीचे comment करके जरूर बताइए।
धन्यवाद।
2 टिप्पणियाँ
I need an essay on मैं श्यामपट्ट बोल रहा हूं।
जवाब देंहटाएंOk hm jaldhi apke iye essay lekar ayenge. :)
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